Wednesday, May 30, 2012


जो सतत चलते रहते हैं वे ही मधुर फल पाते हैं...
सूर्य को देखिए – निरंतर पुरुषार्थ, निरंतर कर्मयोग
और निरंतर गतिशील......अत: चलते रहें

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